हिज़्बुल्लाह के प्रमुख शैख़ नईम क़ासिम ने एक बार फिर दोहराया कि हम मर्दे मैदान हैं हमें ज़िल्लत गवारा नहीं है। शैख़ नईम क़ासिम ने प्रतिरोध के मार्ग को जारी रखने और ज़ायोनी शासन के साथ किसी भी आत्मसमर्पण या संबंधों के सामान्यकरण को अस्वीकार करने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि देश की रक्षा जारी रहेगी, क्योंकि कब्जे वाले क्षेत्रों को मुक्त करने का प्रयास एक दायित्व है, भले ही इसमें समय लगे और बलिदान की आवश्यकता हो। हिज़्बुल्लाह के महासचिव ने कहा कि ज़ायोनी दुश्मन लेबनान की धरती पर पाँच बिंदुओं पर कब्जा जमाए हुए है और यह आक्रमण स्वीकार्य नहीं है।
इमाम हुसैन और आशूरा के आदर्शों के प्रति हिज़्बुल्लाह की वफादारी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रतिरोध की लौ बुझ नहीं पाएगी और आने वाली पीढ़ियाँ भी इससे लाभान्वित होंगी। यह मार्ग इमाम मूसा सद्र और देश के शहीदों तथा शहीदों के सरदार और नेता सय्यद हसन नसरल्लाह का मार्ग है।
ज़ायोनी शासन द्वारा युद्ध विराम के बार-बार उल्लंघन की आलोचना करते हुए, शैख़ नईम क़ासिम ने कहा कि नए समझौते की धमकी का मतलब आत्मसमर्पण करना स्वीकार करना नहीं है। प्रतिरोध समाधान का हिस्सा है, और इस्राईल का अस्तित्व एक संकट है जिसका सामना किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों और रक्षा रणनीति पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए शर्त यह है कि समझौते का पूर्ण कार्यान्वयन हो, कब्जे वाले क्षेत्रों से ज़ायोनी सेना की वापसी हो, आक्रमण बंद हो और पुनर्निर्माण की शुरुआत हो।
शैख़ नईम क़ासिम ने कहा कि हम मर्दे मैदान हैं और बात समझौते और अपमान की हो तो हमारा नारा है कि ज़िल्लत हमसे दूर है । हिज़्बुल्लाह दोनों विकल्पों के लिए तैयार है: देश की शांति, निर्माण और स्थिरता, और राष्ट्र की गरिमा और अधिकारों के लिए लड़ना और उनकी रक्षा करना।
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